नई दिल्ली : पिछले साल नोटबंदी, रियल इस्टेट रेग्युलेशन ऐक्ट (RERA) और जीएसटी लागू होने की वजह से आवासीय घरों की कीमत में गिरावट देखने को मिली है। नाइटफ्रैंक इंडिया रियल इस्टेट की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर के शहरों के आवासीय घरों की कीमत में औसतन 3 फीसदी की गिरावट हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक गिरावट पुणे (7 फीसदी) और मुंबई (5 फीसदी) के आवासीय घरों में हुई है। एनसीआर में आवासीय घरों की कीमत लगातार पिछले 6 सालों से घट रही है। पिछले साल भी कीमतों में औसतन 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। घरों की कीमत गिरने के पीछे की मुख्य वजह मांग में कमी को बताया जा रहा है।
बेंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर और चेन्नई में घरों की बिक्री में क्रमशः 26, 6 और 20 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। हालांकि मुंबई और पुणे में घरों की खरीदारी में थोड़ी तेजी दिखी है।
रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में रेरा के ठीक से लागू होने के बाद मुंबई और पुणे में घरों की बिक्री में क्रमशः 3 और 5 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है।
बिक्री नहीं होने की वजह से आवासीय घरों के नए प्रॉजेक्ट्स की लॉन्चिंग में भी कमी देखी गई है। पिछले साल नए प्रॉजेक्ट्स की लॉन्चिंग में दिल्ली-एनसीआर में 56 फीसदी और बेंगलुरु में 41 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इसने रियल इस्टेट सेक्टर को बुरी तरह से प्रभावित किया है। प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइटफ्रैंक इंडिया के मुताबिक एनसीआर में पिछले साल केवल 37653 यूनिट ही बेचे जा सके हैं।
दिल्ली एनसीआर के सेल्स में 6 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इसकी वजह से घरों की कीमत में 2 फीसदी तक कमी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक रियल इस्टेट के नए प्रॉजेक्ट्स में सस्ते घरों की हिस्सेदारी भी तेजी से बढ़ी है।
2016 में जहां नए प्रॉजेक्टस में सस्ते घरों की हिस्सेदारी 53 फीसदी थी, 2017 में बढ़कर 83 फीसदी हो गई। डिवेलपर्स भी 50 लाख तक की कीमत वाले घरों पर फोकस कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी और ज्यादा मांग की वजह से सस्ते घरों के ज्यादा प्रॉजेक्ट लॉन्च किए गए।