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इंडियन एयरफोर्स की ताकत में हुआ और इजाफा, उड़ते एयरक्राफ्ट में भरा ईंधन

नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना को गुरुवार को बड़ी सफलता मिली है। वायुसेना के एम्ब्रेयर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट में हवा में उड़ान भरते हुए ही ईंधन भरा गया। उड़ते हुए दो जहाजों ने इस काम को सफलतापूर्वक कर लिया। इससे अब जरुरत पड़ने या आपात स्थिति में ईंधन भरने के लिए एयरक्राफ्ट को लैंड नहीं करना पड़ेगा।

इंडियन एयरफोर्स ने एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AEW&C) तकनीक से लैस एम्ब्रेयर एयरक्राफ्ट में उड़ान के दौरान ईंधन भरा। इसके जरिए अब इंडियन एयरफोर्स के पास एयक्राफ्ट का फ्लाइंग टाइम बढ़ाने की क्षमता आ गई है। ऐसा पहली बार हुआ है कि एम्ब्रेयर प्लेटफॉर्म पर एयर-टू-एयर रीफ्यूलिंग की गई है।

उड़ान के दौरान एयर-टू-एयर रीफ्यूलिंग के लिए इंडियन एयरफोर्स के पायलट्स ने “प्रोब एंड ड्रोग’ टैक्नीक का इस्तेमाल किया। पायलट्स ने फ्यूल टैंकर एयरक्राफ्ट की टेल की तरफ एम्ब्रेयर को एक सीध में रखा। टैंकर एयरक्राफ्ट से निकले बास्केट शेप के हवा में तैरते लंगर को सावधानी से अपने विमान में इनसर्ट किया। इसके जरिए एयर-टू-एयर रीफ्यूलिंग कामयाब हुई।

इंडियन एयरफोर्स के स्टेटमेंट में कहा गया, “इंडियन एयरफोर्स दुनिया की उन कुछ चुनिंदा फोर्सेस में से एक है, जिसने इस ताकत (एयर-टू-एयर रीफ्यूलिंग) का प्रदर्शन किया है। एम्ब्रेयर ने भी इस कैटेगरी में अपनी क्षमताओं को साबित किया है।” इंडियन एयरफोर्स के मुताबिक, “फ्लाइट के दौरान महज 10 मिनट की रिफ्यूलिंग के चलते एयरक्राफ्ट की उड़ान क्षमता में 4 घंटे का इजाफा हो जाता है। इस कामयाबी के चलते एयरफोर्स की ऑपरेशन कैपेबिलिटी में शानदार इजाफा हुआ है।”

बता दें कि हवा से हवा में ईंधन भरने के लिए पायलटों के लिए खास स्किल की जरूरत होती है, जिसकी प्रैक्टिस भारतीय वायुसेना के जवानों ने की है। सबसे महत्वपूर्ण ये होता है कि जिस विमान में ईंधन भरा जाना है, उसे ईंधन टैंकर को अपने बास्केट में सही तरीके से सम्मिलित करना होता है। इस प्रक्रिया में एयरक्राफ्ट को फ्लाइंग मानकों का सही-सही पालन करना होता है।

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