विद्घानों के अनुसार पारसी धर्म ईरान का एक प्राचीन आैर प्रचलित धर्म है, जो ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। पारसी धर्म के संस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र माने जाते हैं, इसलिये इसको ज़रथुष्ट्री धर्म भी कहते हैं। पारसी धर्म की तीन प्रमुख शिक्षा हैं हुमत, हुख्त आैर हुवर्श्त जिन्हें संस्कृत में सुमत, सूक्त आैर सुवर्तन कहा जाता है जिसका अर्थ है सुबुद्धि, सुभाष आैर सुव्यवहार। पारसी एक ईश्वर को मानते हैं जिन्हें अहुरा मज़्दा या होरमज़्द कहते हैं। एेसा कहा जाता है कि पारसी र्इश्वर हिंदू वैदिक देवता वरुण से काफ़ी मिलते जुलते हैं। पारसी धर्म में भी अग्नि को अत्यन्त पवित्र माना जाता है आैर उसी के माध्यम से अहुरा मज़्दा की पूजा होती है। पारसी मंदिरों को आतिश बेहराम कहा जाता है। पारसी मान्यताआें के अनुसार अहुरा मज़्दा का सबसे बड़ा शत्रु अंगिरा मैन्यु उर्फ आहरीमान है।
पारसी धर्म मानने वाले लोग मुख्य रूप से सात पर्व मानते हैं। जिसमें से पहला है नौरोज़: नौरोज़ या नवरोज़ ईरानी नववर्ष का नाम है, जिसे फारसी नया साल भी कहा जाता है और मुख्यतः ईरानियों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। दूसरा है खोरदादसाल: ये भी पारसी धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है। तीसरा जरथुस्त्रनो, चौथा गहम्बर्स, पांचवा फ्रावार देगन, छठा पपेटी: यह जरोस्त्रेयन कैलेंडर के हिसाब से नए वर्ष के शुभारंभ पर मनाया जाता है। इस दिन पारसी समुदाय से जुड़े लोग परंपरागत पोशाकों में, अग्नि मंदिर जिसे आगीयारी भी कहते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं। सातवां जमशोद नौरोज़: यह पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में मनाया जाता है। यह ईरानी कैलेंडर में पहले महीने, फर्ववर्ड, के पहले दिन का प्रतीक है। यह आम तौर पर 21 मार्च के आसपास होता है।