मुंबई : आपने कभी सोचा कि बीमारियों के डर से आप जिन डॉक्टरों के चक्कर लगाते रहते हैं, वे डॉक्टर किससे डरते होंगे? इस सवाल का जवाब जानना है तो इंश्योरेंस एजेंट और म्यूचुअल फंड ब्रोकर्स से पूछें कि देश के कुछ टॉप डॉक्टर और सर्जन सबसे ज्यादा निवेश कहां करते हैं। डॉक्टर्स औसतन 6-7 इंश्योरेंस पॉलिसीज लेते हैं और वे भी \’नकारात्मक और असुरक्षित\’ निवेशकों की श्रेणी में शामिल हो जाते हैं।
ध्यान रहे कि यह कोई झूठा आंकड़ा नहीं है, बल्कि ये आधिकारिक आंकड़े हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर डॉक्टरों को अपनी जिंदगी की अनिश्चितता क्यों सताती है? मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल में इंटरवेंशनल कार्डिऑलजी डिपार्टमेंट में ऑनररी कंस्लटंट एम विश्वनाथन ने बताया, ‘हम अपने जीवन में बहुत देर से कमाना शुरू करते हैं, इससे हम पूरी जिंदगी असुरक्षित महसूस करते रहते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम अभाव की मानसिकता से भी ग्रस्त रहते हैं। हमें कभी पता ही नहीं होता है कि आखिर सुखी रहने के लिए कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी।’
दरअसल, डॉक्टरों और शायद वकीलों के ऐसे पेशे हैं जहां करियर में लंबे वक्त के बाद मोटी कमाई शुरू होती है। चिकित्सा के क्षेत्र में काम करनेवाले अमूमन 32 साल या इससे भी ज्यादा उम्र के बाद ही नियमित वेतन पाते हैं। एक टॉप रैंकिंग मेडिकल स्टूडेंट की अच्छे इंजिनियरिंग ग्रैजुएट से तुलना करेंगे तो पता चलेगा कि इंजिनियर 20 वर्ष की उम्र के आसपास से कमाने लगता है और 30 साल का होते-होते उसकी सैलरी लाखों में हो जाती है। तब तक डॉक्टर स्पेशलिटी हासिल करने के लिए पोस्टग्रैजुएट करने में व्यस्त रहता है। तब तक उस पर एजुकेशन लोन का बड़ा बोझ भी पड़ सकता है।
मुंबई के मुकुंद हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टिंग गायनकॉलजिस्ट मीना प्रभु कहती हैं, ‘विडंबना यह है कि इंजिनयर और डॉक्टर, दोनों 12वीं के बाद ही व्यावसायिक शिक्षा शुरू करते हैं।’ चार साल के कोर्स के बाद इंजिनियर अपनी स्पेशलिटी के मुताबिक जॉब कर लेगा। प्रभु ने कहा, ‘आप जूनियर डॉक्टर बन जाएं तो भी अच्छी कमाई नहीं कर सकते।’ 1970 में मीना प्रभु मुंबई के केईएम हॉस्पिटल में रेजिडेंट जूनियर डॉक्टर थीं। तब उन्हें महज 410 रुपये प्रति माह सैलरी मिला करती थी।
यही वह वजह है जिसके कारण डॉक्टर इतनी ज्यादा लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज लेते हैं।