लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अयोध्या विवाद को लेकर सुलह कराने की कोशिश में जुटे आर्ट ‘ऑफ लिविंग’ के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास 5 कालिदास मार्ग पर हुई इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। योगी आदित्यनाथ ने श्रीश्री रविशंकर के मध्यस्थता करने पर कहा कि सरकार इसमें कहीं नहीं है। अयोध्या विवाद का संवाद से अगर कोई रास्ता निकलता है तो हम इसका स्वागत करेंगे, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार इस पहल में कहीं नहीं है। श्री श्री रविशंकर की फिलहाल जिन लोगों से बातचीत हो रही है वह अदालत में चल रहे मुकदमे में मुख्य पार्टी नहीं हैं। इस मामले का कोई ठोस हल निकलने के लिए यह जरूरी है कि निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड सहित सभी अपीलकर्ताओं से श्रीश्री रविशंकर मुलाकात करें और बातचीत का ठोस मसौदा बनाएं।
श्रीश्री रविशंकर ने मुलाकात के दौरान अयोध्या में राम मंदिर मुद्दे पर उनसे चर्चा की। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद श्री श्री रविशंकर अपने करीबी पंडित अमरनाथ मिश्र के आवास पर मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने चले गए। श्री श्री रविशंकर गुरुवार को अयोध्या जाएंगे, जहां वह अयोध्या विवाद से जुड़े सभी पक्षकारों से मिलकर सुलह का रोडमैप साझा करेंगे। वो मुस्लिम समाज से भी बातचीत करेंगे। वो मंत्री मोहसिन रजा से भी मुलाकात कर इस मसले पर चर्चा करेंगे। इससे पहले मंगलवार को वृंदावन में श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि इस मुद्दे पर उनकी मध्यस्थता सकारात्मक परिणाम तक पहुंचेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी पक्षकार आपसी सहमति से मंदिर मामले में निर्णायक फैसला निकालने का प्रयास करेंगे। मुख्यमंत्री योगी ने भी रविशंकर की मुलाकात को लेकर कल ही कहा था कि अगर कोई सुलह के लिए आगे आता है तो हम उसका स्वागत करेंगे।
न सरकार साथ – न पक्षकार, क्या राम मंदिर पर श्री श्री की कोशिश जाएगी बेकार ?
अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता के मोर्चे पर निकले आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर का धर्म गुरुओं से मुलाकात और बातचीत का सिलसिला जारी है। खास बात ये है कि रविशंकर ने अभी तक जिन मुस्लिम-हिंदू रहनुमाओं से मुलाकात की है, वो ना तो अयोध्या विवाद में पक्षकार हैं और न ही उनका अयोध्या मामले में किसी तरह का सीधा जुड़ाव है। यही नहीं केंद्र सरकार ने भी साफ कर दिया है कि रविशंकर को मध्यस्थता के लिए उसने अधिकृत नहीं किया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि रविशंकर के साथ जब न सरकार है और न पक्षकार, तो कैसे वो अपने इस मिशन में कामयाब हो पाएंगे ?
मालूम हो कि 5 दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट अयोध्या विवाद पर फाइनल सुनवाई शुरू करेगा। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 अपीलकर्ता हैं। इनमें 8 अपील मुस्लिम समुदाय की ओर से हैं और 6 हिंदू समाज की ओर से। सुप्रीम कोर्ट इन्हीं की अपीलों पर सुनवाई कर रही है। अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को बातचीत से सुलझाने की कोशिश में श्रीश्री रविशंकर लगे हुए हैं। इसी कड़ी में श्रीश्री रविशंकर से पिछले महीने 6 अक्टूबर को बेंगलुरु में मुस्लिम संगठन के लोगों को बुलाकर बात की और खुद मध्यस्थता करने की भी बात कही थी। बेंगलुरू में श्रीश्री रविशंकर ने निर्मोही अखाड़ा और कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात की थी। इनमें मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य एजाज अरशद कासमी भी शामिल थे। इसके बाद रविशंकर ने सोमवार को दिल्ली में हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों के कई लोगों से मुलाकात की थी। इनमें हिंदू महासभा के चक्रपाणि महाराज, हजरत निजामुद्दीन दरगाह के मौलाना सैयद हम्माद निजामी, अजमेर शरीफ दरगाह के सैयद फकहर काजमी चिश्ती, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फारुखी, सहारनपुर के मौलाना महताब आलम और बाबर के वंशज प्रिंस याकूब शामिल हैं। श्रीश्री रविशंकर 16 नवंबर को अयोध्या भी जा रहे हैं। रविशंकर दिगंबर अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, राष्ट्रीय मुस्लिम मंच, शिव सेना, हिंदू महासभा के अलावा विनय कटियार से मुलाकात करेंगे।