निपाह वायरस के संक्रमण से दिमागी बुखार होता है. शुरुआत में मरीज़ को तेज बुखार के साथ कफ और सांस लेने में तकलीफ होती है.
केरल में निपाह वायरस से हो रही मौतों के बाद दिल्ली सरकार ने भी लोगों से सतर्क रहने को कहा है. दिल्ली सरकार ने एक एडवाजरी जारी कर लोगों से सावधानी बरतने को कहा है. हालांकि राजधानी में अभी तक में इस जानलेवा वायरस के संक्रमण की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है.
सरकार ने एडवायजरी में लोगों से फलों को खाते समय विशेष ध्यान देने की सलाह दी है. खासतौर पर आम खाने से पहले लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है. क्योंकि पक्षियों के खाए हुए आम पेड़ों से गिर जाते है, जिसमें संक्रमण होने का खतरा हो सकता है. क्योंकि अभी तक की रिसर्च से पता चला है कि निपाह वायरस चमगादड़ों के काटे हुए फल खाने से फैल रहा है.
एडवायजरी में बताया गया है कि फिलहाल ये बीमारी महामारी के कगार तक नहीं पहुंची है. केरल में दो जिलों तक ही सीमित है, लेकिन फिर भी सरकार ने लोगों को सावधान किया है. एडवायजरी में ये भी कहा गया है कि लोगों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है.
अभी तक दिल्ली में इस संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है. केरल की बात करें तो वहां निपाह वायरस से मरने वालों की संख्या गुरुवार को बढ़कर 16 हो गई है. ये बिमारी पक्षियों से इंसानों में फैलने वाली बिमारी है. इस वायरस का संक्रमण चमगादड़ों के काटे फलों में उनके सलाइवा से, निपाह वायरस से ग्रसित मरीजों और सुअरों से होता है.
निपाह वायरस के संक्रमण से दिमागी बुखार होता है. शुरुआत में मरीज़ को तेज बुखार के साथ कफ और सांस लेने में तकलीफ होती है. एडवायजरी में कहीं आने जाने की बड़ी मनाही तो नहीं है, लेकिन फिर भी लोगों को केरल के संक्रमित इलाकों में जाने से मना किया गया है.
एडवायजरी में लोगों से ऐसे फलों को खाने में सावधानी बरतने को कहा गया है जिसे अक्सर चमगादड़ या दूसरे पक्षी काटकर नीचे गिरा देते है. एडवायजरी में किसी को भी तेज बुखार के साथ गले में समस्या जैसी शिकायत पर तुरंत डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी गई है. लोगों से खुद से कोई दवाई लेने को मना किया गया है.
लोगों को सफाई रखने की सलाह दी गई है, साफ रुमाल का इस्तेमाल करें, हाथ को भोजन से पहले और बाद में साबुन से धोएं और बाजार से आने के बाद भी हाथों को अच्छी तरह साफ करें, फलों को पानी में अच्छी तरह से धोने के बाद ही खांए और किसी फल पर किसी तरह का निशान होने पर उसे खरीदने या खाने से बचें.
स्वास्थ्य कर्मचारियों से भी मरीज़ो की देखरेख के समय सावधानी बरतने को कहा गया है. मरीजों के इलाज के दौरान मार्क्स और ग्लव्ज का इस्तेमाल करने के जरूरी निर्देश जारी किए गए हैं.