नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर मामले की सुनवाई 8 फरवरी 2018 तक टाल दी है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच इस मामले की नियमित सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में शिया वक्फ बोर्ड ने मंदिर का समर्थन किया। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों को पढ़ा अौर कहा कि सभी सबूत कोर्ट के सामने पेश नहीं किए गए।
अयोध्या में विवादित ढांचे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। 3 जस्टिस की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी, 2018 को होगी। सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई 2019 तक टालने की बात कही। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सभी दस्तावेज पूरे करने की मांग की है। न्यायलय ने दायर दीवानी अपीलों में एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड को निर्देश दिया कि वे एक साथ बैठकर यह सुनिश्चत करें कि सारे दस्तावेज दाखिल हों और उन पर संख्या भी लिखी हो।
इससे पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने मांग किया था कि मामले की सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद करनी चाहिए। क्योंकि यह मामला एनडीए के चुनावी एजेंडे में शामिल है और मामला राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि इसके दस्तावेज भी अभी अधूरे हैं। लिहाजा 5 या 7 जजों बेंच को आम चुनाव के बाद इस पर सुनवाई करनी चाहिए। बता दें कि कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने इसको लेकर आपत्ति जताते हुए सुनवाई का बहिष्कार करने का ऐलान किया था।
बता दें कि यह मामला सामाजिक के साथ-साथ राजनीतिक रूप से भी अति संवेदनशील है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की विशेष पीठ मंगलवार को इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं। सुनवाई अयोध्या में विवादित भूमि के मालिकाना हक को लेकर है।