भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई नागरिक अक्षय वेंकटेश को फील्ड्स मेडल से सम्मानित किया गया। गणित के क्षेत्र में इसे नोबेल पुरस्कार के बराबर माना जाता है। 36 साल के अक्षय को यह मेडल बुधवार को रियो डी जेनेरो में ‘अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस ऑफ मैथमेटिशियंस’ के दौरान दिया गया। फील्ड्स मेडल हर चार साल में 40 साल से कम उम्र के गणितज्ञों को दिया जाता है। इस साल अक्षय के अलावा 3 अन्य लोगों को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हालांकि, समारोह के दौरान ही एक विजेता कौशर बिरकर का मेडल चोरी हो गया।
कौशर के मुताबिक, उन्होंने सम्मान मिलने के बाद मेडल को सूटकेस में रख लिया था। कुछ ही देर बाद उन्हें पता चला कि सूटकेस गायब है। उन्होंने इसकी शिकायत सुरक्षा अधिकारियों से की, जिन्हें कुछ ही देर बाद पवेलियन में खाली सूटकेस मिल गया। इस मामले में पुलिस ने दो संदिग्धों की पहचान कर ली। बताया गया है कि मेडल की कीमत 4 हजार डॉलर्स (करीब 2.73 लाख रुपए) है। जिन तीन विजेताओं को ये सम्मान दिया गया, उनमें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में ईरानी-कुर्द मूल के प्रोफेसर कौशर बिरकर के अलावा बॉन यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले जर्मनी के पीटर शोल्ज और स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट के गणितज्ञ एलिसियो फिगाली शामिल हैं।
पुरस्कार के तौर पर अक्षय को गोल्ड मेडल और 15 हजार कनाडाई डॉलर्स (करीब 7.87 लाख रुपए) दिए जाएंगे। उनसे पहले 2014 में मंजुल भार्गव ये सम्मान पाने वाले भारतीय मूल के पहले व्यक्ति बने थे। अक्षय का जन्म नई दिल्ली में हुआ था। जब वे दो साल के थे, तभी उनके माता-पिता ऑस्ट्रेलिया में बस गए थे। अक्षय इस समय स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। 15 अगस्त से वे प्रिंसटन के इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी में कार्यभार संभालेंगे।
अक्षय की बचपन से ही गणित में रुचि थी। उन्होंने 12 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय फिजिक्स ओलिंपियाड और मैथ्स ओलिंपियाड में मेडल हासिल किए थे। 14 साल की उम्र में उन्होंने वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था, जहां से सिर्फ 15 साल की उम्र में उन्होंने फर्स्ट डिवीजन के साथ ऑनर्स की डिग्री हासिल कर ली थी। 16 साल की उम्र में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रेजुएट के लिए दाखिला लेने के बाद 22 साल तक उन्होंने अपनी पीएचडी भी पूरी कर ली थी।
अक्षय को 2008 में तमिलनाडु की शनमुघ आर्ट्स, साइंस, टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च एकेडमी (शास्त्र) की तरफ से रामानुजन मेडल दिया गया था। 2016 में उन्हें इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन ने सम्मानित किया गया था।